पितृ पक्ष | श्राद्ध | कनागत
पितृ पक्ष आरम्भ: 14 सितम्बर 2019
पितृ पक्ष समाप्त : 28 सितम्बर 2019
भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक के समय को श्राद्ध , कनागत या पितृ पक्ष कहते हैं। शास्त्र पुराणानुसार इस समय अंतराल में पितृ अपने पुत्र पौत्र से मिलने आते हैं जिनके लिए श्रद्धापूर्वक किये गए संकल्प , तर्पण , पिंड तथा दान को श्राद्ध कहते हैं। जिस मृतक के 1 वर्ष के सभी क्रियाकर्म हो जाते हैं जिसे वर्सीय कहते हैं उसे पितर कहते हैं।जिन व्यक्तियों का श्राद्ध मनाया जाता है उन व्यक्तियों के नाम तथा गोत्र का उच्चारण के साथ मंत्र करके जो अन्न आदि उन्हें दिया जाता है वो विभिन्न रूपो में उन्हें प्राप्त होता है।वायु पुराण में लिखा है कि "मेरे पितर जो प्रेतरुप हैं, तिलयुक्त जौं के पिण्डों से वह तृप्त हों।साथ ही सृष्टि में हर वस्तु ब्रह्मा से लेकर तिनके तक, चाहे वह चर हो या अचर हो, मेरे द्वारा दिए जल से तृप्त हों"। पुरुष के श्राद्ध में ब्राह्मण तथा स्त्री के श्राद्ध में ब्राह्मणी को भोजन कराते हैं तथा दक्षिणा देते हैं पितृ पक्ष में पितरो की मरण तिथि को ही उनका श्राद्ध किया जाता है पितृ पक्ष में देवताओ को जल देने के बाद पितरो का नामोच्चारण करके उनको भी जल देना चाहिए।
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