श्री अनंत चतुर्दशी | भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी ( 12 सितम्बर 2019)
तिथि आरम्भ : 12 सितम्बर को सुबह 5:07 पर
तिथि समाप्त : 13 सितम्बर को सुबह 7:36 पर
अनंत चौदस पूजा शुभ मुहूर्त :
12 सितम्बर को सुबह 6:04 से 13 सितम्बर सुबह 6:05
गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त :
सुबह 6:04 से 7:37 तक, सुबह 10:44 से दोपहर 3:24 तक ,
सायं 4:57 से रात्रि 9:24 तक, रात्रि 12:17 से 1:44 तक
अनंत चौदस पूजा शुभ मुहूर्त :
12 सितम्बर को सुबह 6:04 से 13 सितम्बर सुबह 6:05
गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त :
सुबह 6:04 से 7:37 तक, सुबह 10:44 से दोपहर 3:24 तक ,
सायं 4:57 से रात्रि 9:24 तक, रात्रि 12:17 से 1:44 तक
तिथि महत्व :
इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत किया जाता है उसे विपत्ति हरने वाला व्रत कहते हैं।नामानुसार यह दिन अंत ना होने वाले सृष्टि के करता विष्णु की भक्ति का दिन है।भगवान् विष्णु की इस मन्त्र ऐसे पूजा करनी चाहिए "अनंत सर्व नागानामधिपः सर्वकामदः, सदा भूयात प्रसन्नोमे यक्तानामभयंकरः।" यह विष्णु कृष्ण रूप हैं और शेषनाग कालरूप में विद्यमान हैं।दोनों की सम्मिलित पूजा ही की जाती है।पूजन विधान में सुबह व्रत संकल्प किया जाता है और सात फनो वाली शेषनाग के साथ अनंत रुपी विष्णु की पूजा की जाती है तथा चौदह गाँठ वाली डोरी भी रखते हैं जिसे अनंता कहते हैं उसका भी पूजन किया जाता है तथा अनंत भगवान् की कथा पढ़ी जाती है।14 गाँठ वाले रक्षासूत्रों को पूजन के पश्चात अपने तथा अन्य परिवारी सदस्यों के हाथ में बाँधा जाता है। इस दिन नमक रहित भोजन करने का विधान है।इस दिन चतुर्थी तिथि को घर में आये भगवान श्री गणेश जी को भी विदा किया जाता है।चतुर्थी से चतुर्दशी तक गणेश जी को श्रद्धालु रोककर इस दिन विदा करते हैं।नृत्य गायन करते हुए विसर्जन यात्रा की जाती है।
इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत किया जाता है उसे विपत्ति हरने वाला व्रत कहते हैं।नामानुसार यह दिन अंत ना होने वाले सृष्टि के करता विष्णु की भक्ति का दिन है।भगवान् विष्णु की इस मन्त्र ऐसे पूजा करनी चाहिए "अनंत सर्व नागानामधिपः सर्वकामदः, सदा भूयात प्रसन्नोमे यक्तानामभयंकरः।" यह विष्णु कृष्ण रूप हैं और शेषनाग कालरूप में विद्यमान हैं।दोनों की सम्मिलित पूजा ही की जाती है।पूजन विधान में सुबह व्रत संकल्प किया जाता है और सात फनो वाली शेषनाग के साथ अनंत रुपी विष्णु की पूजा की जाती है तथा चौदह गाँठ वाली डोरी भी रखते हैं जिसे अनंता कहते हैं उसका भी पूजन किया जाता है तथा अनंत भगवान् की कथा पढ़ी जाती है।14 गाँठ वाले रक्षासूत्रों को पूजन के पश्चात अपने तथा अन्य परिवारी सदस्यों के हाथ में बाँधा जाता है। इस दिन नमक रहित भोजन करने का विधान है।इस दिन चतुर्थी तिथि को घर में आये भगवान श्री गणेश जी को भी विदा किया जाता है।चतुर्थी से चतुर्दशी तक गणेश जी को श्रद्धालु रोककर इस दिन विदा करते हैं।नृत्य गायन करते हुए विसर्जन यात्रा की जाती है।
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