आश्विन (शारदीय )नवरात्र
(29 सितंबर से 7 अक्टूबर 2019 )
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
घट स्थापना मुहूर्त : नीचे दिए गए इन्ही दो मुहूर्त में दीप पूजन एवं घट स्थापना करें
प्रतिपदा तिथि आरम्भ : 28 की रात्रि 11:56 पर
प्रतिपदा तिथि समाप्त : 29 की शाम 8:14 पर
प्रथम मुहूर्त : सुबह 6:13 से 7:40 तक
द्वितीय मुहूर्त : सुबह 11:47 से 12:35 तक
महत्व एवं पूजन विधि :
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र आरम्भ होते हैं। सर्व प्रथम सुबह स्नानादि के बाद स्थापना स्थान को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है तथा बैठ कर प्रथम पूज्य गणेश भगवान् की पूजा करते हैं, तथा सभी देवताओ का आवाह्न किया जाता है। कलश पूजन एवं माँ दुर्गा की मूर्ती स्थापना करते हैं तथा रोली ,चावल, सिंदूर, माला, फूल, चुनरी, साड़ी, आभूषण और सुहाग से माता का श्रृंगार करते हैं तथा हवन कुंड को हवन सामग्री से प्रज्ज्वलित करते हैं एवं मिठाई फल इत्यादि का भोग लगाते हैं और दुर्गा चालीसा तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ आरम्भ करते हैं। व्रत पूर्ण वाले दिन हलवे पूरी का भोग लगाया तथा उसी से अन्नाहार करते हैं। तिथि विशेष स्वरुप का मंत्रोच्चारण करें।
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