श्री गणेश संकष्ट चतुर्थी | सकट चौथ
(24 जनवरी 2019 गुरूवार)
तिथि आरम्भ : 23 जनवरी को रात्रि 12 बजे
तिथि समाप्त : 24 जनवरी को रात्रि 8:54 पर
सकट चौथ पर चंद्रोदय: 24 जनवरी को रात्रि 9:31 पर
महत्व:
सकट चौथ का व्रत माघ मास की कृष्णपक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है।सकट शब्द संकट का अपभ्रंश है इस दिन भगवान् गणेश ने देवताओ को संकट से उबारा था इस कृत्य से प्रसन्न हो भगवान् शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद देकर कहा कि आज के दिन जो भी इस संकट दूर करने वाले सकट चौथ व्रत को करेगा वो अपने हर प्रकार के संकट को दूर करेगा। माही चौथ, वक्रतुण्डी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ इत्यादि सकट चौथ के ही नाम हैं।इस दिन विद्या-बुद्धि-वारिधि के स्वामी गणेश एवं चन्द्रमा की पूजा की जाती है।
व्रत एवं पूजन विधि:
इस दिन पुत्रवती स्त्रियां दिन भर निर्जल रहकर शाम को फलाहार करती हैं तथा सकट माता पर पूरी-पकवान चढाती हैं तथा कथा सुनती हैं। सकट चौथ के दिन तिल को भून कर गुड़ के साथ कूटा जाता है फिर तिलकुट का पहाड़ बनाते हैं। कही कही तिलकुट का बकरा बनाकर उसकी पूजा की जाती है तथा कोई बालक उसकी गर्दन चाक़ू या सिक्के से काटता है।
इस दिन नैवेद्य सामग्री तिल, ईख, अमरुद, गुड़ तथा घी से चंद्र तथा गणेश जी को भोग लगाया जाता है दिन भर व्रत रखकर सायंकाल चन्द्रमा को दूध का अर्घ्य देते हैं। गौरी गणेश की स्थापना करके उनका पूजन किया जाता है तथा वर्ष भर उन्हें घर रखते हैं।
नैवेद्य को रात्रि भर ढककर रखा जाता है। जिसे पहार कहते हैं। तथा पहार को पुत्र खोलता है तथा भाई बंधुओं में बाँट दिया जाता है।
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