श्री पंचमी | बिहार पंचमी
विवाह पञ्चमी | श्री राम-विवाहोत्सव
विवाह पञ्चमी | श्री राम-विवाहोत्सव
(12 दिसंबर 2018)
तिथि महत्व:
मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन भगवान् राम और सीता का विवाह हुआ था तब से इस दिन भगवान् राम और सीता माता का विवाहोत्सव मनाया जाता है एवं इसीलिए इस तिथि को विवाह पञ्चमी भी कहते हैं।वैवाहिक मंगल कार्य के लिए यह तिथि बहुत अच्छी एवं दोषरहित मानी जाती है ऐसी मान्यता है कि आज के दिन भगवान् राम और सीता का विवाह कराने से विवाह सम्बन्धी समस्या और दाम्पत्य जीवन में चल रही समस्याओ का निवारण स्वतः ही हो जाता है।
इस दिन अप्रकट रहने वाले बांकेबिहारी जी इस दिन भक्तों को दर्शन देने के लिए प्रकट हुए थे तब से इस दिन बिहारी ही का प्राकट्य उत्सव भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है इसलिए इसे बिहार पंचमी भी कहते हैं।
मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन भगवान् राम और सीता का विवाह हुआ था तब से इस दिन भगवान् राम और सीता माता का विवाहोत्सव मनाया जाता है एवं इसीलिए इस तिथि को विवाह पञ्चमी भी कहते हैं।वैवाहिक मंगल कार्य के लिए यह तिथि बहुत अच्छी एवं दोषरहित मानी जाती है ऐसी मान्यता है कि आज के दिन भगवान् राम और सीता का विवाह कराने से विवाह सम्बन्धी समस्या और दाम्पत्य जीवन में चल रही समस्याओ का निवारण स्वतः ही हो जाता है।
इस दिन अप्रकट रहने वाले बांकेबिहारी जी इस दिन भक्तों को दर्शन देने के लिए प्रकट हुए थे तब से इस दिन बिहारी ही का प्राकट्य उत्सव भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है इसलिए इसे बिहार पंचमी भी कहते हैं।
पूजन विशेष: इस दिन भगवान राम और माता सीता का सम्मिलित रूप से पूजन और रामचरित मानस में प्रस्तुत विवाह प्रसंग का पाठ करें अथवा सुने। भगवान कृष्ण के भजन कीर्तन करें।
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