कार्तिक पूर्णिमा | मत्स्यावतार

कार्तिक पूर्णिमा | मत्स्यावतार

कार्तिक पूर्णिमा | मत्स्यावतार 
(23 नवम्बर 2018)




तिथि आरम्भ : 22 नवं. को दोपहर 12:53 पर 
तिथि समाप्त : 23 नवं. को सुबह 11:09 पर


महत्व: 

कार्तिक पूर्णिमा को महापुनीत पर्व माना जाता है।आज के दिन यदि कृतिका नक्षत्र हो तो यह तिथि महाकार्तिकी कहलाती है और भरणी नक्षत्र हो तो यह तिथि विशेष फलदायक और यदि रोहिणी नक्षत्र हो तो यह तिथि विशेष महत्वपूर्ण हो जाती है।इस बार कार्तिकी पूर्णिमा पर सायं 4:41 तक कृतिका नक्षत्र रहेगा तथा उसके बाद पूर्ण तिथि तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा। 
      आज के दिन किये गए दान तथा गंगा स्नान का विशेष महत्व है।आज के दिन भगवान् शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था इसलिए इस तिथि को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं।इसी तिथि को भगवान् का मत्स्यावतार हुआ था। आज के दिन  भीष्म पंचक भी समाप्त हो जाता है।  
      इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, सम्भूति, संतति, प्रीती, अनुसूइया और क्षमा कृतिकाओं (छः तपस्विनियां जो कार्तिकेय की माता हैं) का पूजन सम्भूत करके पुण्य फल प्राप्त होता है। रात्रि में व्रत के उपरांत वृषदान करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है। 
     गुरु नानक का जन्म भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था अतः आज के दिन गुरुनानक जी की जयंती भी मनाई जाती है। 

पूजन :
पूजन विशेष  प्रायः सत्यनाराण की व्रत कथा सुनी जाती है।  सायं मंदिरों , चौराहे तथा पीपल के वृक्ष के नीचे दीप जलाया जाता है तथा चंद्रोदय के समय कार्तिकेय की माताओ की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। भगवान् विष्णु के मत्स्यावतार का पूजन भी करते हैं।  



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