आंवला नवमी | अक्षय नवमी | कूष्माण्ड नवमी | धात्री नवमी

आंवला नवमी | अक्षय नवमी | कूष्माण्ड नवमी | धात्री नवमी

आंवला नवमी | अक्षय नवमी 
धात्री नवमी | कूष्माण्ड नवमी 
(17 नवंबर 2018)



तिथि आरम्भ = 16 नवंबर को सुबह 09:40 बजे
तिथि समाप्त = 17 नवंबर को सुबह 11:55 बजे
पूजन मुहूर्त = 17 नवं. सुबह 6:50 से 11:55 


महत्व: 

कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवला नवमी कहते हैं जैसा नाम से ज्ञात है आज के दिन आंवले के वृक्ष(धात्री वृक्ष) की पूजा की जाती है। आज के दिन किये गए पूजा-पाठ, दान इत्यादि अक्षय हो जाता है इसीलिए इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। इसी पूजन के साथ कूष्माण्डा (सीताफल , कद्दू इत्यादि) का पूजन भी होता है इसीलिए इसे कूष्माण्ड नवमी भी कहते हैं।  


पूजा विधान: 

सुबह आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व की तरफ मुख करके "ॐ धात्रये नमः " मन्त्र से आह्वाहन करके षोडशोपचार पूजन किया जाता है, तथा आंवला नवमी की व्रत कथा पढ़ी जाती है फिर आंवले के वृक्ष की जड़ में दूध अर्पित करते हैं तथा ऊपर कच्चा धागा लपेटते हैं।  "यानि कानि च पापानि " मन्त्र पढ़ते हुए वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करते हैं। फिर कूष्माण्डा (सीता फल या कद्दू ) में द्रव्य रखकर  उसका पूजन करते हैं और इसी फल को ब्राह्मण को दान कर देते हैं।  





हमारी संस्था के अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श के लिए मोबाइल नंबर  +91-8218433649 पर संपर्क करे। 
NEXT ARTICLE Next Post
PREVIOUS ARTICLE Previous Post
NEXT ARTICLE Next Post
PREVIOUS ARTICLE Previous Post