ज्येष्ठ शुक्ल दशमी(अधिक मास) | गंगा दशहरा

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी(अधिक मास) | गंगा दशहरा


गंगा दशहरा | ज्येष्ठ शुक्ल दशमी(अधिक मास)  

(24 मई 2018- गुरूवार )




तिथि आरम्भ:  23 मई शाम 7:13 पर 

तिथि समाप्त:  24 मई शाम 6:19 पर 

  
आज ही के दिन राजा सगर के साठ हज़ार पुत्रो को  मुक्ति दिलाने के लिए माँ गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुयी थी।  भगवान् राम के पूर्वज, राजा सगर की दो पत्नियों क्रमशः केशिनी को असमंजस नाम का एक धार्मिक और सुमति को साठ हज़ार उद्दंड पुत्र की प्राप्ति हुयी।  राजा सगर के अश्वमेघ यज्ञ का घोडा इंद्र ने चुरा कर कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया और कपिल मुनि के आश्रम में घोड़े के बंधे घोड़े के विषय में ज्ञात होते ही सगर के साठ हज़ार पुत्रो ने कपिल मुनि को मारने का प्रयास किया , लेकिन कपिल मुनि के तेज को वो सह ना सके और सभी राख हो गए।  सगर के ही पौत्र घोडा लेकर गए , यज्ञ पूरा किया और अपने पुत्र दिलीप को राज्य देकर स्वयं पितरो की मुक्ति की कामना करते करते मृत्यु को प्राप्त हुए , दिलीप ने यह राज्य अपने पुत्र भगीरथ को यह राज्य सौंप दिया और वो भी पितर मुक्ति कामना में ही मर गए।  भगीरथ ने तपस्या की और इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से गंगा जी को नीचे जाने के लिए आशीर्वाद दिया और शिव ने गंगा को अपने केशो में समाहित करने के लिए अपने केशो को खोल दिया।  शिव की जटाओ से माँ गंगा जह्नु ऋषि के कान से होती हुयी पृथ्वी पर आयी और सगर के पुत्रो को मुक्ति दी।  यदि ज्येष्ठ अधिक मास हो तब इसको अधिकमास (मलमास या पुरुषोत्तम मास ) की दशमी को ही मनाना उत्तम माना गया है।  

"ॐ नमः शिवाऐ नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः" मन्त्र से आवाहन पूजन करना चाहिए।  भगीरथ , हिमालय इन सभी का ध्यान करके दस दीपक , दस फल और दस सेर तिल का दान "गंगायै नमः" कहते हुए करना चाहिए। इस दिन किये गए अन्न वस्त्रादि का दान , पितृ-तर्पण , जप तप , उपासना , उपवास इत्यादि करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है जिसमे ३ प्रकार के कायिक , ३ प्रकार के मानसिक और ४ प्रकार के वाचिक पाप बताये गए हैं।

इस दिन गंगा स्नान करना अत्यधिक शुभ माना गया है। जो व्यक्ति गंगा जी ना जा पाए वह अपने घर में स्नान करने के लिए  गए जल में गंगाजल मिलाकर मंत्रोच्चारण के साथ स्नान करके इस पुण्य का लाभ ले सकता है।  
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