वरुथिनी एकादशी

वरुथिनी एकादशी

वरुथिनी एकादशी | वैशाख कृष्ण एकादशी 
(12 अप्रैल 2018)

तिथि आरम्भ:11 अप्रैल को सुबह 6:40 पर 
तिथि समाप्त:12 अप्रैल को सुबह 8:12 पर 
पारण: सुबह 6:00 से 8:33 

पूजा विधि एवं महत्व: 

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जानते हैं , इस दिन भगवान् विष्णु के रूप मधुसूदन का पूजन किया जाता है।  इस व्रत को करने से भगवान् मधुसूदन की प्रसन्नता प्राप्त होती है समस्त पापों का नाश होता है एवं सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।  व्रत के माहात्म्य को कहने या सुनने मात्र से एक हज़ार गाय के दान का फल प्राप्त होता है तथा व्रत को करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।  

इस दिन प्रातः सभी दैनिक कार्यो से निवृत होकर सुबह भगवान् विष्णु के मधुसूदन रूप की पूजा करनी चाहिए एवं व्रत का माहात्म्य पढ़ना चाहिए।  
इस व्रत के दिन निम्नलिखित बातों का ध्यान जो व्रत धारण ना करे उनको भी रखना चाहिए , कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए , मसूर की दाल ना खाये , मांस ना खाये , चना ना खाये , कोंदो का शाक ना खाये  ,अन्य व्यक्ति का भोजन ना करे , दूसरी बार भोजन ना करे , स्त्री प्रसंग से बचे , दातुन ना करे , पान ना खाये, एवं किसी भी प्रकार के पाप करने से बचे।   


श्री वल्लभाचार्य जयंती: 

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आज के दिन भगवान् कृष्ण के परम् भक्त श्री वल्लभाचार्य जी का जन्म हुआ था।  वल्लभाचार्य जी कृष्ण भगवान् के श्री नाथ रूप  का पूजन करते थे, इनको महाप्रभु वल्लभाचार्य नाम से भी जानते हैं।  

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