अक्षय तृतीया | परशुराम जयंती

अक्षय तृतीया | परशुराम जयंती

अक्षय तृतीया | परशुराम जयंती | वैशाख शुक्ल तृतीया 

(18 अप्रैल 2018)

तिथि आरम्भ: 18 अप्रैल को सुबह 3:45 बजे 
तिथि समाप्त: 19 अप्रैल को सुबह 1:29 बजे 
पूजा मुहूर्त: सुबह 5:28 से 11:48 तक

महत्त्व: 

अक्षय तृतीया की तिथि बहुत शुभ मानी जाती है। इस तिथि पर सभी प्रकार के शुभ कार्य विवाह, गृहप्रवेश , मुंडन, भूमि पूजन इत्यादि सभी शुभ कार्य करने के लिए अलग से कोई मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती यह तिथि स्वयंसिद्ध मानी जाती है। आज के दिन सोना खरीदना विशेष शुभ माना जाता है। आज के दिन किये गए दान तथा स्नान का फल भी अनंत होता है, फलो के रस का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।  पितृदोष पूजन के लिए यह दिन उपयुक्त माना जाता है एवं पितृश्राद्ध के लिए ब्राह्मण भोज भी  कराना उपयुक्त माना गया है।  इसी दिन धन धान्य इत्यादि एवं मौसम के परीक्षण के साथ वर्षा ऋतु का आंकलन किया जाता अहइ 
पौराणिक मतानुसार आज के दिन त्रेतायुग का आरम्भ हुआ था एवं भगवान् विष्णु ने नर-नारायण अवतार , हयग्रीव अवतार एवं परशुराम अवतार इस तिथि पर लिया था।  इसलिए यह तिथि विशेषकर भगवान् विष्णु को समर्पित है एवं  भगवान् विष्णु के लक्ष्मीनारायण रूप के साथ साथ तीनो रूप (परशुराम , हरग्रीव एवं नर-नारायण ) का पूजन भी किया जाता है ।  इस दिन भगवान् के इन्ही तीनो रूप की जयंती भी मनाते हैं।  



पूजा विधि: 

सुबह स्नानदि कार्य से निवृत होकर भगवान् विष्णु के तीनो रूप एवं लक्ष्मीनारायण का षोडशोपचार पूजन करने के बाद , विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करे तथा गेहू या जौं के सत्तू , ककड़ी एवं चने की दाल इत्यादि के साथ मीठे प्रसाद का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया जाता है।  
परशुराम जयंती की सभी को शुभ कामनाये




NEXT ARTICLE Next Post
PREVIOUS ARTICLE Previous Post
NEXT ARTICLE Next Post
PREVIOUS ARTICLE Previous Post