
राम नवमी | चैत्र शुक्ल नवमी |चैत्र शुक्ल अष्टमी
(25 मार्च 2018)नवमी तिथि का क्षय है इसलिए नवमी अष्टमी एक ही दिन हैं
अष्टमी तिथि आरम्भ : 24 मार्च सुबह 10:06 पर
अष्टमी तिथि समाप्त : 25 मार्च सुबह 8:02 पर
नवमी तिथि समाप्त : 26 मार्च सुबह 5:55 पर
शास्त्रानुसार मर्यादापुरुषोत्तम दशरथ नंदन श्री राम जी आज ही दिन धरती पर आये थे। आज के दिन हर जगह श्री राम के जन्मोत्सव के उपलक्ष में हर्सोल्लास मनाते हैं । सुबह स्नानादि के बाद रामदरवार लगाकर षोडशोपचार पूजन करना चाहिए , तथा मध्याह्न में राम चरित मानस में प्रस्तुत "भय प्रकट कृपाला" आज के दिन अधिकांश भक्त राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं, तथा विष्णु सहस्रनाम का भी पाठ करते हैं ।
विशेष पूजन में उत्तर दिशा में चार द्वार का मंडप बनाकर पूर्व में हनुमान जी , शंख तथा चक्र दक्षिण द्वार पर गरुण जी धनुष तथा वाण पश्चिम द्वार पर अंगद जी , गदा और खडग तथा उत्तर द्वार पर पदम् , श्री नील तथा स्वस्तिक की स्थापना करते है (चित्र लगाकर पूजित करना भी स्थापना करने का ही रूप है) तथा बीच में बड़ा सर्वतोभद्र चक्र बनाकर रामदरबार लगाया जाता है तत्पश्चात षोडशोपचार पूजन किया जाता है इत्यादि ऊपर दिए पूजा पाठ स्त्रोत इत्यादि किये जाते हैं। उसके बाद मध्याह्न में जन्मोत्सव पूजन करते हैं उसके उपरांत श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण करते हैं।
आद्यशक्ति पूजन नौ दिन तक का पूजन विधान है परन्तु कुछ लोग अष्टमी को बच्चियों को पूजकर कुमारी पूजन के विधान को संपन्न करते है फिर अष्टमी या नवमी को ही परायण कर लेते हैं। इस विधान में एक साथ नौ कन्यायो को बिठाते है तथा एक बालक को भी साथ बिठाकर पूजन करते हैं तथा भोजन कराते हैं । एक पत्तल भोजन से गणेश भगवान को भी भोग लगाते है।
विशेष पूजन में उत्तर दिशा में चार द्वार का मंडप बनाकर पूर्व में हनुमान जी , शंख तथा चक्र दक्षिण द्वार पर गरुण जी धनुष तथा वाण पश्चिम द्वार पर अंगद जी , गदा और खडग तथा उत्तर द्वार पर पदम् , श्री नील तथा स्वस्तिक की स्थापना करते है (चित्र लगाकर पूजित करना भी स्थापना करने का ही रूप है) तथा बीच में बड़ा सर्वतोभद्र चक्र बनाकर रामदरबार लगाया जाता है तत्पश्चात षोडशोपचार पूजन किया जाता है इत्यादि ऊपर दिए पूजा पाठ स्त्रोत इत्यादि किये जाते हैं। उसके बाद मध्याह्न में जन्मोत्सव पूजन करते हैं उसके उपरांत श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण करते हैं।
कुमारी पूजन :
