#पंचमुखी_हनुमान का स्वरूप अत्यंत दिव्य, रहस्यमय और शक्तिशाली है। यह स्वरूप पांच अलग-अलग मुखों (सिरों) और दस भुजाओं से युक्त होता है। प्रत्येक मुख एक विशेष देवता के रूप का प्रतीक है और उसकी विशेष शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है। #पंचमुखी_हनुमान का यह रूप विशेष रूप से राक्षसों के विनाश, भय नाश, सुरक्षा और साधना के लिए प्रसिद्ध है।
#पंचमुखों_का_विवरण:
१- पूर्वमुख - हनुमान (वानर मुख)
• यह मुख स्वयं हनुमान जी का है।
• यह शक्ति बल, भक्ति, साहस और निष्ठा का प्रतीक है।
• यह स्वरूप भक्तों को बल और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
२- दक्षिणमुख - नरसिंह (सिंह मुख)
• यह स्वरूप भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह का है।
• यह शक्ति भय और दुष्टों का नाश करने की है।
• यह रक्षात्मक ऊर्जा और क्रूर शक्तियों से रक्षा का प्रतीक है।
३- पश्चिममुख - गरुड़ (गरुड़ मुख)
• यह भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ का मुख है।
• यह सर्प दोष और काला जादू से रक्षा करता है।
• यह विष एवं काल से बचाने वाला स्वरूप है।
४- उत्तरमुख - वराह (वराह मुख)
• यह भगवान विष्णु के वराह अवतार का स्वरूप है।
• यह धरती को नीचे गिरने से रोकने और संतुलन बनाए रखने वाला स्वरूप है।
• यह धैर्य, संरक्षण और भूमि तत्व का प्रतीक है।
५- ऊर्ध्वमुख - हयग्रीव (घोड़े का मुख)
• यह भगवान विष्णु के हयग्रीव अवतार का प्रतीक है।
• यह विद्या, बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।
• यह स्वरूप विद्यार्थियों और साधकों के लिए विशेष फलदायी है।
#विशेषताएँ:
• पंचमुखी हनुमान के दस भुजाएँ होती हैं, जिनमें विभिन्न अस्त्र-शस्त्र होते हैं: खड्ग, त्रिशूल, गदा, परशु, धनुष, आदि।
• यह स्वरूप साधकों की रक्षा, बाधा निवारण, और भूत-प्रेत बाधाओं को नष्ट करने में समर्थ माना जाता है।
• रात्रि में साधना और तंत्र निवारण के लिए पंचमुखी हनुमान की पूजा विशेष फल देती है।
• वास्तु दोषों के निवारण में भगवान के पंचमुखी रूप का विशेष महत्व है
#शास्त्रीय_मान्यता:
यह स्वरूप रामायण और शिव पुराण में विशेष रूप से वर्णित है जब हनुमान जी ने अहिरावण वध के समय पंचमुखी रूप धारण किया था ताकि पांचों दिशाओं के दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध कर सकें।
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