शरद पूर्णिमा | आश्विन पूर्णिमा
(13 अक्टूबर 2019)
तिथि आरम्भ : 12 अक्टू को रात्रि 12:36 पर
तिथि समाप्त : 13 अक्टू को मध्य रात्रि 2:38 पर
चंद्रोदय का समय : 13 अक्टू को सायं 5:56 पर
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं इस दिन से शरद ऋतु का आरंभ होता है । इसे कोजागरी व्रत के रूप में भी मनाते हैं । इस दिन भक्त धनदेवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और खीेर का भोग लगाते हैं । इस दिन भगवान कृष्ण ने रास रचाया था , इसलिए इसे रास पूर्णिमा का भी एक नाम प्राप्त है । इस दिन का चंद्र 16 कलाओं से पूर्ण होता है। आज की मध्यरात्रि गाय के दूध और खांड से बनी खीर चन्द्रमा को अर्पित की जाती है और चांदनी रात में रख दी जाती है और प्रसाद के रूप में खाते हैं , इस दिन चंद्रमा से अमृतवर्षा होती है जिसके फलस्वरूप खीर अत्यंत लाभदायक और रोगनाशक हो जाती है। प्रदोष काल में इंद्र , लक्ष्मी पूजन पश्चात रात्रि जागरण एवं चंद्र की रौशनी में सुई में धागा भी पिरोने तथा पासों से खेलने का विधान है । पूर्णिमा के व्रत आरम्भ करने का यह सबसे उत्तम दिन होता है। इस दिन महर्षि वाल्मीकि एवं मीराबाई की जयंती मनाते हैं। आज से कार्तिक स्नान भी आरम्भ होते हैं।
पूजन विधि : इस दिन सुबह अपने आराध्य का षोडशोपचार पूजन करें तथा कथा सुनें और पूजन के समय प्रयोग किये गए जल का रात्रि में चंद्र को अर्घ्य दें, रात्रि में इंद्र , विष्णु , लक्ष्मी , चंद्र का पूजन करें। रात्रि में जागरण एवं कृष्ण भजन करें।
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