(25/26 अक्टूबर 2019)
तिथि आरम्भ : 25 अक्टूबर की शाम 7:08 पर
तिथि समाप्त : 26 अक्टूबर की शाम 03:47 पर
धनतेरस पूजा मुहूर्त : 25 अक्टू. की शाम 7:08 से 8:15 तक
(1 घंटा 17 मिनट)
प्रदोष काल : 25 अक्टू. की शाम 5:42 से रात 8:15 बजे तक
वृषभ काल : 25 अक्टू. की शाम 6:50 से 8:45 तक
धन्वन्तरि जयंती एवं यम दीपदान 26 अक्टूबर शनिवार को होगा
धनतेरस पूजा मुहूर्त : 25 अक्टू. की शाम 7:08 से 8:15 तक
(1 घंटा 17 मिनट)
प्रदोष काल : 25 अक्टू. की शाम 5:42 से रात 8:15 बजे तक
वृषभ काल : 25 अक्टू. की शाम 6:50 से 8:45 तक
धन्वन्तरि जयंती एवं यम दीपदान 26 अक्टूबर शनिवार को होगा
महत्व एवं पूजन विधि :
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी या धनत्रयोदशी के दौरान लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान की जानी चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद 2 घंटे 24 मिनट का होता है। ऐसा मानते हैं स्थिर लग्न में पूजन से देवी लक्ष्मी घर मे ठहर जाती हैं। वृषभ(स्थिर) लग्न हर बार धनतेरस एवं दिवाली पर प्रदोष काल के दौरान व्याप्त होती है।
इस दिन भगवान धनवंतरि और कुबेर का पूजन किया जाता है, ऐसा मानते हैं कि इस दिन धन्वन्तरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर बाहर आये थे इसलिए इसे धन्वन्तरि जयंती भी कहते हैं।
धनतेरस के दिन लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति खरीदना शुभ होता है। इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। "धनतेरस का अर्थ है : धन-धान्य का त्रयोदशी को पूजन", आज के दिन घर के द्वार पर अन्न की ढेरी रखकर उसपर तेलयुक्त दीपक जलाकर रखते हैं जो कि रात भर जलने दिया जाता है।इस दिन वैदिक देवता यमराज का भी पूजन किया जाता है यम के लिए आटे के तेलयुक्त दीपक बनाकर घर के द्वार पर रखे जाते है और महिलाएं दक्षिणोन्मुखी होकर जल, रोली, चावल, गुड़, फूल, आदि नैवेद्य सहित यम पूजन करती हैं।
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी या धनत्रयोदशी के दौरान लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान की जानी चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद 2 घंटे 24 मिनट का होता है। ऐसा मानते हैं स्थिर लग्न में पूजन से देवी लक्ष्मी घर मे ठहर जाती हैं। वृषभ(स्थिर) लग्न हर बार धनतेरस एवं दिवाली पर प्रदोष काल के दौरान व्याप्त होती है।
इस दिन भगवान धनवंतरि और कुबेर का पूजन किया जाता है, ऐसा मानते हैं कि इस दिन धन्वन्तरि वैद्य समुद्र से अमृत कलश लेकर बाहर आये थे इसलिए इसे धन्वन्तरि जयंती भी कहते हैं।
धनतेरस के दिन लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति खरीदना शुभ होता है। इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। "धनतेरस का अर्थ है : धन-धान्य का त्रयोदशी को पूजन", आज के दिन घर के द्वार पर अन्न की ढेरी रखकर उसपर तेलयुक्त दीपक जलाकर रखते हैं जो कि रात भर जलने दिया जाता है।इस दिन वैदिक देवता यमराज का भी पूजन किया जाता है यम के लिए आटे के तेलयुक्त दीपक बनाकर घर के द्वार पर रखे जाते है और महिलाएं दक्षिणोन्मुखी होकर जल, रोली, चावल, गुड़, फूल, आदि नैवेद्य सहित यम पूजन करती हैं।
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