अहोई अष्टमी | कार्तिक कृष्ण अष्टमी
(21 अक्टूबर 2019)
तिथि आरम्भ : 21 अक्टू सुबह 06:45 बजे
तिथि समाप्त : 22 अक्टू सुबह 05:26 बजे पूजा मुहूर्त : 21अक्टू को सायं 5:46 से 9:02
(1 घंटा 16 मिनट)
तारों को देखने के लिये साँझ का समय : 21 अक्टू सायं 6:10 पर
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय : 21 अक्टू रात्रि 11:46
महत्व :
कार्तिक कृष्ण अष्टमी के दिन करवा चौथ के समान महिलाएं कठोर वृत करती हैं यह व्रत वो महिलायें रखती हैं जिनके संतान होती है, यह वृत संतान सुख , उनकी आरोग्यता एवं दीर्घायु के लिए रखा जाता है। उत्तर भारत मे इस व्रत की अत्यधिक मान्यता है।इसे अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। सायं के दौरान आकाश में तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ा जाता है।कुछ महिलाएँ चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत को तोड़ती है।
विधि : दिन भर व्रत रखते हैं एवं सायंकाल दीवार पर अष्ट कोष्ठक की अहोई की पुतली रंग भरकर बनायी जाती है अथवा बने बनाये चित्र लाकर दीवार पर लगाते हैं। तारामंडल उदय के समय एक लोटा जल भरकर रख देते हैं तथा अहोई माता का पूजन करते हैं तथा कथा पढ़ते हैं। पूजन के बाद इसी जल से चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है तत्पश्चात व्रत खोला जाता है।
कार्तिक कृष्ण अष्टमी के दिन करवा चौथ के समान महिलाएं कठोर वृत करती हैं यह व्रत वो महिलायें रखती हैं जिनके संतान होती है, यह वृत संतान सुख , उनकी आरोग्यता एवं दीर्घायु के लिए रखा जाता है। उत्तर भारत मे इस व्रत की अत्यधिक मान्यता है।इसे अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है। सायं के दौरान आकाश में तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ा जाता है।कुछ महिलाएँ चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत को तोड़ती है।
विधि : दिन भर व्रत रखते हैं एवं सायंकाल दीवार पर अष्ट कोष्ठक की अहोई की पुतली रंग भरकर बनायी जाती है अथवा बने बनाये चित्र लाकर दीवार पर लगाते हैं। तारामंडल उदय के समय एक लोटा जल भरकर रख देते हैं तथा अहोई माता का पूजन करते हैं तथा कथा पढ़ते हैं। पूजन के बाद इसी जल से चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है तत्पश्चात व्रत खोला जाता है।
हमारी संस्था के अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श के लिए मोबाइल नंबर +91-8218433649 पर संपर्क करे।