आमलकी एकादशी | रंगभरी एकादशी

आमलकी एकादशी | रंगभरी एकादशी

आमलकी एकादशी | रंगभरी एकादशी 

फाल्गुन शुक्ल एकादशी (17 मार्च 2019)

तिथि आरम्भ : 16 मार्च रात्रि 11:33 पर 
तिथि समाप्त : 17 मार्च रात्रि 8:51 पर 
पारण समय : 18 मार्च सुबह 6:32 से 8:55 तक 

महत्व  तथा विधि : 

आज के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठ कर  भगवान् की पूजा करने का विधान है।  सामान्यतः सारे दिन के उपवास  के बाद वृक्ष के नीचे खिचड़ी बनाकर खाने की परम्परा है। आज के दिन आंवले के वृक्ष की भी पूजा की जाती है तथा अन्नपूर्णा की स्वर्ण मूर्ती या चांदी की मूर्ती के दर्शन किये जाते हैं।  आज भगवान् परशुराम की स्वर्ण या चांदी की मूर्ती बनाकर पूजा तथा हवन करते हैं। इसके बाद सभी सामग्री को आंवले के वृक्ष के नीचे रखते तथा एक कलश स्थापित करके उसमे पंचरत्न डालते हैं तथा यही सब सामग्री तथा कलश रखे हुए वृक्ष की परिक्रमा करके ,  ब्राह्मण  दान में ये सब दिया जाता है।  


रंगभरी एकादशी : 

उल्लास के माह फाल्गुन और होली से पूर्व पड़ने वाली एकादशी जिसमे होली के समान उल्लास मनाते हैं और एक दुसरे को रंग लगाते हैं।  विशेषकर काशी में इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार  होता है और रंग लगाने का पर्वकाल शुरू हो जाता है। 
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पौराणिक मान्यता : 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् शिव माता पार्वती से विवाह उपरांत पहली बार रंगभरी  एकादशी के दिन भी काशी आये थे। इस अवसर पर भगवान शिव की परिवार समेत चल प्रतिमाये लगाई जाती हैं।  यह पर्व माता पार्वती के प्रथम आगमन का सूचक है माता के आगमन पर इस दिन रंग उड़ा कर , खुशिया मनाते है आज से काशी में रंग लगाने का कार्यक्रम आरम्भ  हो जाता है।  



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