वसंत पंचमी | श्री पंचमी

वसंत पंचमी | श्री पंचमी

वसंत पंचमी | श्री पंचमी


महत्व: 

माघ शुक्ल पंचमी को वसंत पंचमी के रूप में मनाते हैं। यह दिन ऋतुराज वसंत के आगमन की सूचना देता है।  आज के दिन पीले चावल बनाये जाते हैं तथा पीले कपडे पहनते हैं तथा कई जगह आज के दिन पतंग उड़ाई जाती है।
विद्यार्थियों के लिए आज विद्यादायिनी माँ सरस्वती के पूजन का विशेष अवसर होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी की कुंडली में महामूर्ख योग हो और आज के दिन उसका विद्यारम्भ संस्कार किया जाए तो वह भी पढ़लिख लेता है।  माँ सरस्वती पूजन में श्वेत वस्तुओ का प्रयोग होता है जैसे दूध दही मक्खन के अतिरिक्त सफ़ेद तिल के व्यंजन, श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र, श्वेत अलंकार तथा नारियल से पूजन करते हैं। माँ सरस्वती को बेर अर्पित करके ही खाये जाते हैं, सरस्वती पूजन से पूर्व बेर का सेवन निषिद्ध है।इस दिन वाक् संयम और एकभुक्त रहना अच्छा होता है। आज का दिन गृहस्थों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है क्यों कि आज के दिन कामदेव एवं रति का पूजन का विधान है।


पूजन विशेष:


सुबह स्नानादि के बाद गणेशादि, नवग्रहादि, दशदिक्पालादि, पंचदेवादि की पूजा करके घट स्थापन किया जाता है।  तत्पश्चात माँ सरस्वती का पूजन संकल्प करते हैं,   तथा मन्त्र "ॐ ह्रीम सरस्वत्यै स्वाहा" मन्त्र बोलते हुए पंचोपचार पूजन किया जाता है और पुस्तक और कलम को सामने रखकर आशीर्वाद की कामना करते हैं।  मन्त्र जाप के बाद सरस्वती जी की आरती करते हैं तथा प्रसाद वितरण   एवं ग्रहण किया जाता है।  












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