गोवर्धन पूजा | अन्नकूट | कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
(8 नवंबर 2018)
तिथि आरम्भ : 7 नवम्बर की रात्रि 09:32 पर
तिथि समाप्त : 8 नवम्बर की रात्रि 09:08 पर
तिथि समाप्त : 8 नवम्बर की रात्रि 09:08 पर
दीवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है , गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहा जाता है। पुराणानुसार आज के दिन भगवान कृष्ण ने गांव वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था और इन्द्रपूजा बन्द करवा कर गिरिराज पूजा शुरू करवाई थी। सुबह के समय गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर रखते हैं और शाम को इसका पूजन होता है इस दिन भगवान शिव ने पार्वती के साथ द्यूत क्रीड़ा की थी जिसमे चौपड़ और पाशा का खेल होता है इस खेल की खोज आज ही भगवान शिव द्वारा हुई थी। आज खेलना इसे अति शुभ मानते हैं।
आज के दिन बलि पूजन , अन्नकूट , मार्गपाली आदि उत्सव भी संपन्न होते हैं। अन्नकूट ( गोवर्धन ) पूजा द्वापर युग से कृष्ण भगवान् द्वारा आरम्भ कराई गयी थी।
इस दिन गाय के गोबर से घर के आँगन अथवा दरवाजे पर गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पंचोपचार से उसकी पूजा करते हैं तथा गोवर्धन परिक्रमा करते हैं. शाम को गौपूजन करते हैं। दोपहर में भगवान् के लिए छप्पन भोग बनाने का विधान है।
आज के दिन बलि पूजन , अन्नकूट , मार्गपाली आदि उत्सव भी संपन्न होते हैं। अन्नकूट ( गोवर्धन ) पूजा द्वापर युग से कृष्ण भगवान् द्वारा आरम्भ कराई गयी थी।
इस दिन गाय के गोबर से घर के आँगन अथवा दरवाजे पर गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पंचोपचार से उसकी पूजा करते हैं तथा गोवर्धन परिक्रमा करते हैं. शाम को गौपूजन करते हैं। दोपहर में भगवान् के लिए छप्पन भोग बनाने का विधान है।
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