राधाष्टमी | भाद्रपद शुक्ल अष्टमी | विश्वकर्मा पूजन | श्री महालक्ष्मी व्रत

राधाष्टमी | भाद्रपद शुक्ल अष्टमी | विश्वकर्मा पूजन | श्री महालक्ष्मी व्रत

राधाष्टमी | भाद्रपद शुक्ल अष्टमी |
विश्वकर्मा पूजन | श्री महालक्ष्मी व्रत 
[ 17 सितम्बर 2018 ]




तिथि आरम्भ : 16 सितम्बर को दोपहर 3:55 पर
तिथि समाप्त : 17 सितम्बर को शाम 7:45 पर

तिथि महत्व :
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कृष्णाप्रिया राधा जी का जन्म हुआ था इस लिये यह दिन राधाष्टमी के रूप में मनाया जाता है, इस दिन राधा जी के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। आज के दिन व्रत करने से मनुष्य राधा जी के सानिध्य को प्राप्त करता है। इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। आज से ही महालक्ष्मी व्रत भी आरम्भ करते हैं जिसका विवरण नीचे दिया गया है। आज ही के दिन महर्षि दधीचि का जन्म हुआ था यह तिथि उनके जयंती के रूप में भी जानी जाती है। तथा इस दिन विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है।
पूजन विधि : सुबह पांच रंगो के चूर्ण से सोलह दल का कमल मंडप के भीतर बनाकर उसपर तांबे या मट्टी का कलश स्थापित करें।राधा जी को पंचामृत से स्नान कराये तथा वस्त्र इत्यादि पहनाये , फिर उस कलश के ऊपर तांबे का पात्र रखे तथा ऊपर दो वस्त्रों से ढकी हुयी राधा जी की प्रतिमा की स्थापना करते हैं उसके बाद ठीक दोपहर में षोडशोपचार पूजन आदि करते हैं । सारा दिन उपवास करते हैं तथा अगले दिन सुबह भक्तिपूर्वक स्त्रियों को भोजन कराते हैं तथा आचार्य या ब्राह्मण को प्रतिमा दान करते हैं।



महालक्ष्मी व्रत : आज के दिन ही 16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत भी आरम्भ किया जाता है जो की आश्विन कृष्ण अष्टमी तक चलता है। जो लोग इस महालक्ष्मी व्रत को करते हैं वो इस लोक में सुख भोगने के बाद कई काल तक महालक्ष्मी लोक में सुख भोगते हैं। करिष्येहं महालक्ष्मी व्रत से स्वत्परायणा। तविघ्नेन में मातु समाप्ति स्वत्प्रसादतः। इस मन्त्र को पढ़कर व्रत संकल्प लिया जाता है तथा विधान स्वरुप सोलह तार का डोरा लेकर उसमे सोलह गाँठ लगाकर हल्दी की गाँठ घिसकर डोरे पर लगाई लाती है और डोरे को हाथ में बाँध लिया जाता है। व्रत पूर्ण हो जाने पर महालक्ष्मी जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर सोलह प्रकार से पूजित करते हैं तथा रात्रि में तारों को पृथ्वी के प्रति अर्घ्य देते हैं तथा लक्ष्मी की की आराधना करते हैं ब्राह्मण से हवन कराती हैं तथा खीर की आहुति देती हैं। इसके बाद सोलह ब्राह्मणियों तथा चार ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर विदा करती हैं।
महालक्ष्मी व्रत आरम्भ : 17 सितम्बर 2018 से
महालक्ष्मी व्रत समाप्त : 2 अक्टूबर 2018 तक


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