कुशोत्पाटिनी अमावस्या( 9 सितम्बर 2018 )
तिथि आरंभ: जल्दी सुबह 02:42 बजे (9 सितम्बर )
तिथि समाप्त: रात्रि 11:32 बजे (9 सितम्बर )
महत्व एवं विधि :
भाद्रपद अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिये कुश एकत्रित की जाती है, इसलिए इसे कुशोत्पाटिनी तथा कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं।इस दिन एकत्रित की हुई कुश को साल भर इस्तेमाल किया जाता है, कुश तोड़ने के नियम बताये गए हैं जिसमे सबसे मुख्य नियम कुश तोड़ते समय मुख पूर्व अथवा उत्तर की तरफ हो और दाहिने हाथ से कुश जड़ सहित उखाड़ें।यह तिथि पितरो, श्राद्ध कर्मो, कालसर्प दोष पूजन के लिए सबसे उत्तम मानी गयी है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।इसे पिथौरा अमावस्या भी कहते है और इस दिन संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं माँ दुर्गा की आराधना करती है।
इस दिन जरूरतमंदो को दिए गए दान का विशेष महत्व है , खाना खिलाना , छाता -जूते-चप्पल इत्यादि दान , जरूरत मंदो को धन का दान करने का विधान है। इस दिन महिलाये सार्वजनिक रूप से एक जगह इकट्ठा होकर पूजा करती हैं और देवी जी को सुहाग का सामान चढ़ाया जाता है।
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