गुरु पूर्णिमा (27 जुलाई 2018)
खगास चंद्रग्रहण (27/28 जुलाई )
तिथि आरम्भ = 26- जुलाई को रात्रि 11:16 पर
तिथि समाप्त =27 - जुलाई को देर रात्रि 1:50 पर
महत्त्व:
आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं, इस दिन गुरु वंदना का विधान है। यह तिथि अनेक पर्वो , व्रतों वाली है , ऋषि पराशर के पुत्र व्यास का जन्म भी इसी दिन का माना जाता है ।ये दिन चारो वेदों की व्याख्या करने वाले प्रथम गुरु बेदव्यास जी को ही समर्पित है । गुरु को देवता तुल्य रखा गया है क्यों कि जैसी भक्ति हमे देवताओ के लिए करनी होती है वैसा ही समर्पण और भक्ति गुरु के लिए आवश्यक होता है तभी हमको ज्ञान रूपी परम सिद्धि प्राप्त होती है। वामन पुराण के अनुसार आज के दिन भगवान शिव सिंह के चर्म पर शयन करते है अतः आज के दिन शिव पूजन के बाद रुद्राभिषेक का भी चलन है। आज से महिलाओं के स्वास्थ्य रक्षा के कोकिला व्रत भी आरम्भ होते हैं। शिष्यों के लिए यह तिथि बहुत ही पावन मानी गयी है।
ग्रहण आरम्भ (स्पर्श ): रात्रि 11:54 पर
खगास आरम्भ : रात्रि 1: 00 पर
खगास समाप्त: मध्यरात्रि 2:43 पर
ग्रहण समाप्त: देररात्रि 3:49 पर
सूतक : 27 जुलाई 2:54 दोपहर
सूतक : 27 जुलाई 2:54 दोपहर
ग्रहण/सूतक से पूर्व दही , अचार , चटनी , इत्यादि लेश्य भोज्य में कुश या तुलसी के पत्ते डाला देने चाहिए। सूखे पदार्थो पर कुश डालने की आवश्यकता नहीं होती है।
कल्याणकारी कार्य:
ग्रहण के सूतक और ग्रहण काल में दान, जप , स्नान , मन्त्र, स्त्रोत-पाठ , ध्यान इत्यादि करना कल्याणकारी माना जाता है। जिन लोगो को दान करना है वो अपनी राश्यानुसार किसी विद्वान् से दान हेतु वस्तु जैसे अन्न, जल, सफ़ेद वस्त्र, फल, इत्यादि वस्तुओ का संग्रह करके दान संकल्प ग्रहण तिथि को (27 को )सूर्यास्त के पूर्व ही कर लेना चाहिए।और अगले दिन सुबह स्नान के पश्चात किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए (28 को सुबह )
वर्जित कार्य:
सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ती स्पर्श करना , अनावश्यक खाना पीना , मैथुन इत्यादि वर्जित है। मूत्र-पुरीषोत्सर्ग , नाख़ून काटना इत्यादि वर्जित है।वृद्ध , बालक, गर्भवती महिलाओ का यथानुकूल भोजन , जल इत्यादि ग्रहण करने में कोई दोष नहीं लगता। गर्भवती महिलाओ को इस काल में सब्जी काटना एवं सेकने वाले कार्य से परहेज करना चाहिए। आज के दिन तीर्थ स्थानों पर स्नान का विशेष महत्त्व होता है।
अलग अलग १२ राशियों पर इसके अलग अलग असर होंगे जो कि निम्नलिखित हैं
वर्जित कार्य:
सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ती स्पर्श करना , अनावश्यक खाना पीना , मैथुन इत्यादि वर्जित है। मूत्र-पुरीषोत्सर्ग , नाख़ून काटना इत्यादि वर्जित है।वृद्ध , बालक, गर्भवती महिलाओ का यथानुकूल भोजन , जल इत्यादि ग्रहण करने में कोई दोष नहीं लगता। गर्भवती महिलाओ को इस काल में सब्जी काटना एवं सेकने वाले कार्य से परहेज करना चाहिए। आज के दिन तीर्थ स्थानों पर स्नान का विशेष महत्त्व होता है।
अलग अलग १२ राशियों पर इसके अलग अलग असर होंगे जो कि निम्नलिखित हैं
- मेष: रोग/शरीर पीड़ा
- वर्ष: संतान सम्बन्धी गुप्त चिंता
- मिथुन: सुख एवं लाभ
- कर्क: स्त्री/पति कष्ट
- सिंह: रोग / कष्ट भय
- कन्या: मान-हानि खर्चा
- तुला: कार्य सिद्धि
- वृश्चिक : धन लाभ
- धनु : धन हानि / यात्रा
- मकर: चोट , शरीर कष्ट
- कुम्भ: धन हानि
- मीन : धन लाभ , उन्नति
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