निर्जला एकादशी | भीमसैनी एकादशी

निर्जला एकादशी | भीमसैनी एकादशी


निर्जला एकादशी | भीमसैनी एकादशी 

(ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी) 23 जून 2018,शनिवार 
एकादशी तिथि: 23 जून 2018
तिथि आरम्भ : 23 जून को सुबह 03:19 पर
तिथि समाप्त : 24 जून को सुबह 03:52 पर
पारण समय : 24 को दोपहर 1:46 से शाम 4:32


महत्व : 

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं ,  अन्य एकादशियों पर तो संकल्पानुसार फलाहार , दुग्धसेवन कर सकते हैं किन्तु इस एकादशी पर जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। अपवित्र अवस्था में आचमन के अतिरिक्त व्रत संकल्प पश्चात जल किसी भी उपयोग में नहीं लेते अन्यथा व्रत भांग हो जाता है।    "संवत्सरस्य या मध्ये एकादश्यो भवन्त्युत। तासां फलमवाप्नोति अत्र में नास्ति संशय।।"  महाभारत के अनुसार यदि कोई अधिकमास मिलाकर होने वाली 26 एकादशियो के व्रत रखने में सक्षम ना हो तो वह केवल निर्जला एकादशी का व्रत कर ले तो उसको सभी एकादशियो के फल की प्राप्ति हो जाती है।

भूख के कारण भीम भी एकादशी का व्रत नहीं रख पाते थे व्यास जी ने उनको भी इसी व्रत को रखने को कहा था इसीलिए इसे भीमसैनी एकादशी भी कहते हैं।   व्यास जी के आदेश को पांडवो में भीम ने मानकर व्रत धारण किया था इसलिए इसे भीम एकादशी तथा पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है ।

विधि: 

सुबह सनानादि के पश्चात व्रत संकल्प लेकर व्रत धारण करे एवं षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करके विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करे  और भगवत भजन करे।  
द्वादशी के दिन स्नानादि के पश्चात सामर्थ्य अनुसार जलयुक्त कलश देकर भोजन ग्रहण (पारण ) करने से सभी तीर्थो का फल प्राप्त होता है।   

गायत्री जयंती : आज ही के दिन वेद माता एवं सभी  वेदो की देवी कही जाने वाली माँ गायत्री की जयंती भी मनाते हैं।  
 ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को माँ गायत्री का जन्म हुआ ऐसा माना जाता है एवं एक अन्य मतानुसार माँ गायत्री की जयंती श्रावण पूर्णिमा को होती है।   

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