जानकी नवमी । वैशाख शुक्ल नवमी
महत्त्व:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख शुक्ल नवमी तिथि पर ही माता सीता का प्राकट्य पुष्य नक्षत्र में मंगलवार के दिन मध्याहन के समय हुआ था। आज के दिन को जानकी नवमी या सीता नवमी के नाम से जानते हैं। माँ सीता की जयंती के रूप में प्रचलित इस दिन माता सीता के विशेष पूजन के साथ साथ राजा जनक , श्री सुनयना जी एवं भूमि तथा हल का पूजन भी किया जाता है। जोती हुयी भूमि और हल की नोक को सीता कहते है और भूमि पर हल चलाने से ही माता सीता का प्राकट्य हुआ था इसीलिए इनका नाम सीता रखा गया था। माता जानकी की जयंती के रूप में प्राप्त इस दिवस पर रखे गए उपवास का भी विशेष महत्व होता है आज के दिन भगवान् राम के साथ सीता माता का पूजन करने से सोलह महान दानो के फल के साथ पृथ्वी दान का फल एवं सभी तीर्थो का फल प्राप्त होता है।
पूजा विधि :
आज के दिन सुबह स्नानादि के पश्चात राम दरबार को सजाना चाहिए तथा षोडशोपचार पूजन करके राम और सीता के साथ भूमि, हल, जनक एवं सुनयना जी का पूजन भी करना चाहिए। यह विशेष दिन भूमि खुदाई एवं भूमि पूजन के लिए अत्यधिक शुभ मानते है।