मधुक तृतीया
फाल्गुन शुक्ल तृतीया (18 फरबरी 2018 )
तिथि आरम्भ : 18 फरबरी को प्रातः 4:51 पर
तिथि समाप्त : 19 फरबरी को प्रातः 5:17 पर
तिथि समाप्त : 19 फरबरी को प्रातः 5:17 पर
अवैधव्य की कामना रखने वाली स्त्रियां इस दिन गन्ध , पुष्प , धूप और नैवेद्य से गौरी माता की पूजा करती हैं। गन्ध (चन्दन ) इत्यादि समर्पण मंत्रोचारण द्वारा ही संपन्न किया जाता है।
पौराणिक व्याख्यान :
समुद्र मंथन से मधूक नामक एक वृक्ष निकला तब उसे भूलोक वासियो ने लगाया। एक बार माँ गौरी उसी वृक्ष का आश्रय लेकर विराजित थी तब माँ सरस्वती , माँ लक्ष्मी आदि देवियो ने माँ गौरी का पूजन कर वरदान प्राप्त किया फाल्गुन शुक्ल तृतीया को तब से मधुक तृतीया नाम से भी जाना जाता है तथा तब से ही मधुक तृतीया का व्रत पूजन आरंभ हुआ।
मधुक वृक्ष |