कामदा सप्तमी

कामदा सप्तमी



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अर्कपुष्ट सप्तमी | कामदा सप्तमी | कल्याण सप्तमी 

फाल्गुन शुक्ल सप्तमी (22 फरबरी 2018 )

महत्त्व: 

कामनाओ को प्रदान करने वाला यह व्रत साल भर चलने वाला व्रत होता है।प्रत्येक शुक्ल सप्तमी को व्रत करते हैं तथा हर चौमासे में पारणा करके साल भर इस व्रत को करके इस सम्पन्नता पूर्ण होती है और सभी प्रकार के पाप नाश होते हैं, स्वास्थ्य, धन, संतान तथा पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।  
ब्रह्मा जी ने विष्णु जी को इस व्रत की महिमा सुनाकर इस व्रत के महत्त्व को बढ़ाया। 


व्रत विधि : 

षष्ठी को एक  समय  भोजन करके सप्तमी को निराहार रहकर, "खरखोल्काय नमः " मन्त्र से सूर्य भगवान् की पूजा की जाती है और अष्टमी को तुलसी दल के समान अर्क (आक ) के पत्तो  को खाया जाता है।  प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान् की पूजा की जाती है सारा दिन "सूर्याय नमः" मन्त्र से भगवान् का स्मरण किया जाता है। अष्टमी को स्नान करके सूर्य देव का हवन पूजन किया जाता है। सूर्य भगवान् का पूजन करके आज घी , गुड़ इत्यादि का दान किया जाता है तथा दुसरे दिन ब्राह्मणो का पूजन करके खीर खिलाने का विधान है।    
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आक(अर्क )

ज्योतिषीय पक्ष : 

जिन जातको सूर्य के अच्छे फल प्राप्त नहीं हो रहे या जिनकी सूर्य की दशा चल रही है या सूर्य नीचराशिस्थ है  उनके लिए यह व्रत आरम्भ करना अत्यंत लाभकारी होगा और सूर्य से मिलने वाले सभी फल सकारात्मक रूप से प्राप्त होंगे।  


अष्टाह्निका विधान:  

जैन समुदाय में अष्टाह्निका विधान का बहुत महत्त्व है और आज से अष्टाह्निका व्रत आरम्भ किये जाते हैं।  
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