फाल्गुन अमावस्या

फाल्गुन अमावस्या



फाल्गुन अमावस्या
(23 फरवरी 2020)




तिथि आरम्भ: 22 फरवरी सायं 7:03 पर
तिथि समाप्त: 23 फरवरी रात्रि 9:02 पर

तिथि महत्व एवं पूजन विशेष:
इस दिन को युग का आरंभ दिवस माना जाता है अतः आज पितरो का श्राद्ध भी किया जाता है। सामान्यतः इस व्रत में रुद्र, अग्नि तथा ब्राह्मण का पूजन करके उड़द दही पूड़ी आदि का भोग लगाया जाता है और वही प्रसाद के रूप में एक बार खाया जाता है। इसी दिन एक और 12 दिन चलने वाला व्रत आरम्भ किया जाता है जिसे पयोव्रत कहते हैं। पयो का अर्थ दूध होता है , श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार देवमाता अदिति ने यही व्रत करके वामन भगवान् को जन्म दिया था, अतः पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाली स्त्रियों को यह व्रत रखना चाहिए।  इसके लिए अमावस के दिन मट्टी का लेप करके सरोवर में या घर पर शुद्ध स्नान करते हैं फिर गौ दूध की खीर बनाकर  उसका भोजन कराते हैं और व्रतधारी स्वयं भी वह खाते हैं शुक्ल प्रतिपदा अपर भगवान् को गौदूध से स्नान कराया जाता है तथा संकल्प लिया जाता है फिर सोने से बनी हृषिकेश भगवान् की मूर्ती का षोडशोपचार से पूजन करके "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप किया जाता है। इस दिन किया गया दान , सूर्यग्रहण पर किए दान के समान फलित होता है।




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