कार्तिक अमावस | दीपावली
(27 अक्टूबर 2019)
तिथि आरम्भ : 27 अक्टूबर दोपहर 12:23 पर
तिथि समाप्त : 28 नवम्बर दोपहर 09:09 पर
तिथि समाप्त : 28 नवम्बर दोपहर 09:09 पर
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त : सायं 6:42 से 8:14 (1 घंटा 32 मिनट)
पांच दिनों का पर्व दीवाली है , जो धनतेरस से आरम्भ होकर भाईदूज पर सम्पूर्ण होता हैं।
ऐसा कहा जाता है कार्तिक अमावस के दिन ही भगवान् रामचंद्र रावण पर विजय प्राप्त करके लौटे थे और अयोध्यावासियों ने रामचंद्र जी के लौटने के उपलक्ष्य में दापमालाएँ जलाकर महोत्सव मनाया था तभी से दीपावली पर इसी प्रकार हम भी ऐसे उत्सव मनाते हैं।
आज के दिन व्यापारी अपने वही खाते बदलते हैं तथा लाभ हानि का व्योरा तैयार करते हैं। इस दिन विधान रुपी वर्ष में एक बार भाग्य परीक्षण हेतु द्यूत क्रीड़ा(जुआ खेलना) की जाती है।
कार्तिक अमावस्या के दिन माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती और गणेश भगवान की पूजा की जाती है और ये त्योहार भगवान राम के रावण पर विजय प्राप्ति के दौरान घर बापसी की खुशी में दीपो से सजाकर मनाते हैं।
ऐसा कहा जाता है कार्तिक अमावस के दिन ही भगवान् रामचंद्र रावण पर विजय प्राप्त करके लौटे थे और अयोध्यावासियों ने रामचंद्र जी के लौटने के उपलक्ष्य में दापमालाएँ जलाकर महोत्सव मनाया था तभी से दीपावली पर इसी प्रकार हम भी ऐसे उत्सव मनाते हैं।
आज के दिन व्यापारी अपने वही खाते बदलते हैं तथा लाभ हानि का व्योरा तैयार करते हैं। इस दिन विधान रुपी वर्ष में एक बार भाग्य परीक्षण हेतु द्यूत क्रीड़ा(जुआ खेलना) की जाती है।
कार्तिक अमावस्या के दिन माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती और गणेश भगवान की पूजा की जाती है और ये त्योहार भगवान राम के रावण पर विजय प्राप्ति के दौरान घर बापसी की खुशी में दीपो से सजाकर मनाते हैं।
आज के दिन कौमुदी महोत्सव भी मनाते हैं , एकादशी से अमावस तक प्रतिदिन दीपक जलाना कौमुदी उत्सव है।घर में साफ़ सफाई करके दिन में पितर पूजन किया जाता है प्रदोष काल के समय दिवाली सजाई जाती है। आधी रात के बाद सूप डमरू आदि बजाकर अलक्ष्मी को भगवान के कार्य किया जाता है। लक्ष्मी पूजन के लिए सुबह ही संकल्प लेते हैं एवं संध्या में दीपावली आदि जलाकर लक्ष्मी जी , इंद्र एवं कुबेर जी का पूजन करते हैं।
पूजन विधान : दिवाली के दिन पूजन में दीपावली का पोस्टर या दीवार पर गेरुआ रंग से गणेश लक्ष्मी की फोटो बनाकर उसका पूजन करते हैं। इसके साथ गणेश लक्ष्मी की चांदी अथवा मट्टी की मूर्ति स्थापित करते हैं तथा प्रदोष काल में दीपावली पूजन मुहूर्त के समय पूजन करते हैं। इस दिन विघ्ननाशक तथा शुभता क्र कारक गणेश भगवान् , धन के देवता कुबेर , समृद्धि के देवता इंद्र , तथा समस्त मनोरथो को पूरा करने वाले भगवान् विष्णु , बुद्धि की देवी सरस्वती एवं लाभ की कारक लक्ष्मी जी की एक साथ पूजा की जाती है। पूजन के पश्चात घर जगह जगह एवं मंदिरो में दीपक जलाकर रखते हैं।लक्ष्मी आराधना के लिए मन्त्र : नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥
पूजन विधान : दिवाली के दिन पूजन में दीपावली का पोस्टर या दीवार पर गेरुआ रंग से गणेश लक्ष्मी की फोटो बनाकर उसका पूजन करते हैं। इसके साथ गणेश लक्ष्मी की चांदी अथवा मट्टी की मूर्ति स्थापित करते हैं तथा प्रदोष काल में दीपावली पूजन मुहूर्त के समय पूजन करते हैं। इस दिन विघ्ननाशक तथा शुभता क्र कारक गणेश भगवान् , धन के देवता कुबेर , समृद्धि के देवता इंद्र , तथा समस्त मनोरथो को पूरा करने वाले भगवान् विष्णु , बुद्धि की देवी सरस्वती एवं लाभ की कारक लक्ष्मी जी की एक साथ पूजा की जाती है। पूजन के पश्चात घर जगह जगह एवं मंदिरो में दीपक जलाकर रखते हैं।लक्ष्मी आराधना के लिए मन्त्र : नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥
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