ऋषि पंचमी | भाद्रपद शुक्ल पंचमी
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त : सुबह 11:04 से दोपहार 1:36
तिथि आरम्भ : 2 सितम्बर को मध्य रात्रि 1:54 पर
तिथि समाप्त : 3 सितम्बर को रात्रि 11:28 पर
भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी कहते हैं। यह व्रत जाने- अनजाने में हुए पापों के प्रक्षालन के लिए स्त्री पुरुष दोनों को करना चाहिए। व्रत करने वाले को गंगा नदी या किसी अन्य निकट नदी में स्नान करना चाहिए। यदि नदी में स्नान संभव ना हो पाए तो घर पर ही स्नान के समय नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर नहाये तत्पश्चात गोबर से लीपकर तांबे अथवा मट्टी का जल से भरा कलश रखकर उसपर अष्टदल कमल बनाये। अरुंधति सहित सप्तऋषियों का पूजन करें तथा ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भोजन करें। बृह्मा जी द्वारा इस व्रत की महिमा में ऋषिपंचमी को सर्वश्रेष्ठ और सभी पापों का नाश करने वाला व्रत बताया है। इस दिन जो व्रत तथा ऋषिपंचमी व्रत कथा पढ़नी चाहिए।
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