गणेश चतुर्थी | कलंक चतुर्थी

गणेश चतुर्थी | कलंक चतुर्थी



गणेश चतुर्थी | कलंक चतुर्थी 
(2 सितम्बर 2019)



चतुर्थी तिथि आरम्भ = 2 सितम्बर को सुबह 04:57 पर 
चतुर्थी तिथि समाप्त = 2 सितम्बर को रात्रि 01:54 पर

मध्याहन गणेश पूजन समय = 
सुबह 11:04 से दोपहर 01:37 तक
  
 2 को चंद्रमा को नहीं देखने का समय = 

सुबह 04:07 से रात्रि 09:05 तक 


महत्व:
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान् गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं, इसीलिए इस तिथि को गणेश चतुर्थी कहते हैं । वैदिक ज्योतिष के अनुसार मध्याह्न के समय को गणेश स्थापना और गणेश पूजन के लिए सबसे उत्तम मानते हैं और इस विधिविधान को षोडशोपचार गणपति पूजन के नाम से जाना जाता है । आज की तिथि को ही कलंक चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं इस तिथि पर चंद्र दर्शन बाध्य होता है , ऐसा माना जाता है आज के दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या दोष लगता है , जिसके भुक्तभोगी भगवान् कृष्ण भी रहे थे। गलती पूर्वक हुए चन्द्र दर्शन के बाद आप नीचे दिए हुए मंत्र को जपने से दोष मुक्त हो सकते है ।
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥

पूजा विधि :
प्रातःकाल स्नानादि से निवृत होकर सोना, चांदी, ताम्बा , मिटटी अथवा गाय के गोबर से भगवान् गणेश की मूर्ती बनाकर षोडशोपचार पूजन से उस मूर्ती की स्थापना एवं उसकी पूजा करनी चाहिए। प्रचलन में लोग गणेश जी की मूर्ती बाहर से खरीद कर ले आते हैं और स्थापित कर देते हैं। पूजन के समय इक्कीस मोदकों अथवा लड्डुओं का भोग लगाते हैं तथा हरित दूर्वा के इक्कीस अंकुर लेकर भगवान् गणेश के निम्नलिखित 10 नामों को लेकर चढाने चाहिए।
१- गतापि, २- गौरीसुमन, ३- अघनाशक, ४- एकदन्त, ५- ईशपुत्र, ६- सर्वसिद्धिप्रद, ७- विनायक, ८- कुमारगुरु, ९- इंभवक्त्राय, १०- मूषक वाहन संत।
इसके पश्चात 10 लड्डू ब्राह्मण को दान देने चाहिए तथा 11 लड्डू स्वयं के लिए प्रसाद रूप में खाने तथा परिवार सदस्यों को बांटने चाहिए।  







हमारी संस्था के अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श के लिए मोबाइल नंबर  +91-8218433649 पर संपर्क करे। 
NEXT ARTICLE Next Post
PREVIOUS ARTICLE Previous Post
NEXT ARTICLE Next Post
PREVIOUS ARTICLE Previous Post