अजा एकादशी
महत्व :
भाद्रपद कृष्ण एकादशी को अजा, प्रबेधिनी, जया तथा कामिनी एकादशी कहते हैं इस दिन भगवान् विष्णु के उपेंद्र रूप की उपसना की जाती है। इस दिन व्रत करने से तथा रात्रि में जागकर भजन करने से सभी प्रकार के पापो से मुक्ति मिलती है।
भाद्रपद कृष्ण एकादशी को अजा, प्रबेधिनी, जया तथा कामिनी एकादशी कहते हैं इस दिन भगवान् विष्णु के उपेंद्र रूप की उपसना की जाती है। इस दिन व्रत करने से तथा रात्रि में जागकर भजन करने से सभी प्रकार के पापो से मुक्ति मिलती है।
विधि:
सुबह स्नानादि से निवृत होकर भगवान् विष्णु की प्रतिमा की स्थापना करें एवं षोडशोपचार पूजन करें , व्रत संकल्प लें तथा विष्णु सहस्त्रनाम अथवा गीता का पाठ करें। अगले दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही व्रत का पारण करें। इस व्रत में रात में जागकर भजन कीर्तन करने का महत्त्व है। जो जातक व्रती नहीं हैं वो भी सात्विक भोजन ही करें।
सुबह स्नानादि से निवृत होकर भगवान् विष्णु की प्रतिमा की स्थापना करें एवं षोडशोपचार पूजन करें , व्रत संकल्प लें तथा विष्णु सहस्त्रनाम अथवा गीता का पाठ करें। अगले दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही व्रत का पारण करें। इस व्रत में रात में जागकर भजन कीर्तन करने का महत्त्व है। जो जातक व्रती नहीं हैं वो भी सात्विक भोजन ही करें।
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