नरक चतुर्दशी | कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी | कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी | कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी 



महत्व एवं विधि : 

    कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी एवं छोटी दीवाली कहते हैं।इस दिन नर्क गम्य टालने के लिए सुबह स्नानादि कार्य के बाद यम पूजा एवं यम के लिए दीपदान का महत्व है।यम पूजन में मुख्य रूप से यम के 14 नामों का उच्चारण किया जाता है।  ( 1-यमाय नमः, 2-धर्मराजाय नमः, 3-मृत्यवे नमः, 4-अनन्ताय नमः, 5-वैवस्वताय नमः, 6-कालाय नमः, 7-सर्वभूताय नमः, 8-औदुंबराय नमः, 9-दघ्नाय नमः, 10-नीलाय नमः, 11-परमेष्ठिने नमः, 12-वृकोदराय नमः, 13-चित्राय नमः, 14- चित्रगुप्ताय नमः ) चौमुखी तेल का दीपक पूरब की ओर मुख करके जलाया जाता है और फिर इसे दान में दिया जाता है। अन्य दीपक लक्ष्मी स्थान पर एवं घर, मंदिर में रखते हैं।  

    परम्परानुसार हनुमान जयंती भी आज मनाई जाती है, सुबह हनुमान पूजन होता है।आज ही के दिन माता सीता हनुमान जी को सौभाग्य सूचक सिन्दूर देती है जिसे हनुमान जी अपने शरीर पर पोत लिया था।इसलिए आज के दिन हनुमान जी के शरीर पर तेल-सिन्दूर पोतने का भी विधान है।  

    इस तिथि को काली चौदस भी कहते हैं, माँ काली का पूजन शाम को होता है।इस दिन छोटी दीपावली भी मनाई जाती है।     कहा जाता है इसी दिन भगवान् कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस तिथि को रूप चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहते हैं इस दिन सौंदर्य रूप श्रीकृष्ण जी की पूजा भी की जाती है। 







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